कई हज़ार साल पहले मैं भी घनघोर नास्तिक था
कई हज़ार साल पहले मैं भी घनघोर नास्तिक था। मैं भी अत्याधुनिक नास्तिकों की तरह अकड़ कर चलता था और हर पंडित विद्वान् आचार्यों से प्रश्न करता था कि जब ईश्वर की मर्जी के बगैर पत्ता भी नहीं हिल सकता तो दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है वह क्या ईश्वर की मर्जी से…