गुलामी

जब कोई साथ ना हो तब भी कोई साथ होता है
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जब अपने साथ छोड़ देते हैं तब परायों से सहयोग मिलता है

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सोशल मीडिया के समझदार, कर्मवादी और मेहनती लोगों ने मुझे अपनी फ्रेंडलिस्ट से बाहर निकाल दिया है। कारण पर चिंतन किया तो यही समझ में आया कि मैं उनकी तरह समझदार, कर्मवादी और मेहनती नहीं हूँ। मैं सोशल मीडिया पर दान और आर्थिक सहयोग मांग लेता हूँ। और मेहनती, कर्मवादी लोगों की नजर में दान…

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sangharsh gulami se aajadi ke liye
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बुलबुल का संघर्ष स्वतन्त्रता के लिए

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“प्रश्न: “जब आप माफियाओं और उनके चाकरों, गुलामों और भक्तों की आलोचना करते हो, उन्हें लुटेरा और प्रकृति का शत्रु कहते हो, तो फिर भला वे आपकी सहायता करेंगे क्यों ? और जब माफियाओं और लुटेरों की चाकरी, भक्ति, गुलामी ना करने वाले आप जैसे लोगों को सहायता मांगनी पड़ रही है स्वतन्त्र जीवन जीने…

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bhikhaari ya gulaam

भीख का कटोरा श्रेष्ठ या गुलामी का पट्टा ?

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एक व्यक्ति नौकरी कर रहा है, एक व्यक्ति मजदूरी कर रहा है, एक व्यक्ति व्यवसाय कर रहा है, एक व्यक्ति भीख मांग रहा है और एक व्यक्ति संन्यासी है। उपरोक्त में से कौन सही है और कौन गलत ? यदि देखा जाये तो कोई भी सही नहीं है और कोई भी गलत नहीं है। सभी…

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bharat ek krishi pradhan desh
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भारत का कृषि प्रधान देश होने का भ्रम

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प्रारंभिक भ्रम हममें से अधिकांश ने बचपन में पढ़ा था कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। लेकिन जैसे ही गाँव से निकलकर शहरों में कदम रखा, असलियत सामने आई। भारत एक ऐसा देश बन चुका है जहाँ आम नागरिकों का जीवन माफिया और दलालों के हाथों में है। यहाँ जन्म लेने वाला हर व्यक्ति…

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guruon se bhi mukt ho jao
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स्वविवेक का महत्व: गुरुओं से भी मुक्त हो जाओ

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अधिकांश गुरुओं ने कहा कि गीता पढ़ो, बाइबल पढ़ो, वेद, उपनिषद, कुरान पढ़ो। लेकिन कुछ ही गुरुओं ने कहा कि स्वयं को दड़बों से मुक्त करो, स्वयं गुरुओं से भी मुक्त करो, प्रकृति (Nature) को पढ़ो, स्वयं को पढ़ो, स्वयं को जानो। जिन गुरुओं ने स्वयं को गुरुओं से भी मुक्त होने के लिए कहा,…

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“गण के तंत्र” गुलामी में तब्दील, अधर्म की पराकाष्ठा पर स्वतंत्रता की विजय है?

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“गण के तंत्र” गुलामी में तब्दील, अधर्म की पराकाष्ठा पर स्वतंत्रता की विजय है! पूंजीवाद के गुलाम नौकरी के पट्टा पहना स्वतंत्रता की बात करते हैं? पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था मानवता को किस तरह गुलामी का पट्टा पहना अपना शिकार करती है? परमात्मा ने हमें प्रकृति के स्वतंत्र व्यवस्था में हमें पूरी तरह प्रकृति के साथ…

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पूंजीवादी गुलाम

पूंजीवादी सरकारी नौकरी के नाम पर उन गुलामों को जहर किस तरह परोसती है ?

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जो पूंजीवादी सरकारी नौकरी के आधार पर जीते हैं, वे गुलाम है, इसीलिए आप जैसे गुलामों को तलवे के नीचे रखकर पालने की जिम्मेदारी वह उठाती है! पूंजीवादी सरकारी नौकरी के आधार पर आपके जीवन की सारी उत्तरदायित्व उठाती तो है पर धीमी जहर देकर, जिससे आपको पता भी न चले, जिसके कारण आपको पूरी…

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हमारे पुर्वज स्वतंत्र और आत्मनिर्भर थे

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हमारे पुर्वज स्वतंत्र, आत्मनिर्भर थे, किसी के गुलाम नहीं, क्योंकि वे न डिग्रीधारी थे न गुलाम थे, बल्कि शिक्षित थे!

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भेड़ों के समाज के लिए क्या चिंता, क्या फिक्र, वो तो थाली-ताली बजा, टीका ठोंक कर खुश है !

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भेड़ों के समाज के लिए क्या चिंता, क्या फिक्र, वो तो थाली-ताली बजा, टीका ठोंक कर खुश है!

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मैं अपने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की जिम्मेदार खुद हूं

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मैं अपने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की जिम्मेदार खुद हूं, गुलाम नहीं, मैं स्वतंत्र हूं!

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पालतू नहीं हूँ मैं
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व्यापार, चाकरी और गुलामी के कुछ अनिवार्य सिद्धांत

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फेसबुक, ट्विटर, यूटयूब से बहुत से लोग कमा रहे हैं। मुझे भी ऑप्शन मिला है कमाने का। लेकिन मैं जानता हुं कि व्यापार, चाकरी और गुलामी के कुछ सिद्धांत हैं, कुछ नियम हैं। जिसके उल्लंघन होने पर व्यापार ठप्प, चाकरी/नौकरी जाएगी और गुलाम मारा जाएगा। और वह नियम और सिद्धांत हैं:१- बुरा मत देखो, बुरा…

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समझदार होने का कोई सम्बन्ध नहीं डिग्रीधारी या शास्त्री होने से

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“बहुत पढ़ा हमने फलाने को ढिकाने को।” “बचपन से उनके सानिन्ध्य में रहे हम कई बरसों तक।” सारे शास्त्र, धार्मिक ग्रंथ कंठस्थ हैं हमें, एक-एक आयतें और श्लोक ज़बानी याद है। अरे ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी का टॉपर हैं हम ! भला हमसे बड़ा ज्ञानी और कौन होगा इस दुनिया में ? ऐसे बहुत से…

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