इंसान का महत्व

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उपभोक्तावाद के गुलाम: इंसान का घटता महत्व और जागरूकता की राह

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आज का समाज उपभोक्तावाद पर आधारित कर्मवाद से ग्रस्त है, जहां इंसानों का महत्व उन्हीं पुराने रेडियो और टीवी सेट्स जैसा हो गया है, जो कभी घरों की शान हुआ करते थे और आज कचरे के ढेर में पड़े हैं। इन उपकरणों की तरह ही, इंसानों को भी तब तक महत्व दिया जाता है, जब…

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