इस्लाम

अधर्म के विरुद्ध नहीं समाज
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अधर्म के विरुद्ध नहीं समाज, संगठन और सम्प्रदाय

“गुरुओं के नाम पर बड़े-बड़े सम्प्रदाय, संगठन, संस्थाएँ और समाज बनाए जाते हैं। ये समाज और संगठन अक्सर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना को प्रोत्साहित करने, लोगों को एक मंच पर लाने और सहयोग व सहानुभूति का विस्तार करने का प्रयास भी करते हैं। संगठन, सम्प्रदायों, समाजों के ठेकेदार दूसरों के मोहल्लों में अपने गुरुओं की…

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न गुरु एक हैं, न पंथ एक हैं, न धर्म एक हैं और न ही ईश्वर एक है !

प्राचीन काल में जब मैं छोटा बच्चा हुआ करता था, तब श्री कृष्ण और विष्णु से बहुत प्रभावित था। क्योंकि मुझे उनसे या उनके अनुयाइयों से डर नहीं लगता था। दूसरा कारण था उनकी लक्ज़री लाइफ बहुत प्रभावित करती थी मुझे। फिर एक दिन माँ ने गौतम् बुद्ध की कहानियाँ सुनाईं। मुझे लगा गौतम बुद्ध…

Politics Rajnaitik partiyon ko bhi dharm kyon nahi ghoshit kar dete

राजनैतिक पार्टियों को भी धर्म घोषित क्यों नहीं कर देते ?

कहते हैं डिग्रियाँ बटोरने के लिए स्कूल जाना जरूरी है। फिर स्कूल सर्टिफिकेट जारी करता है कि यह बालक अब डिग्रियाँ बटोरने के योग्य हो गया है इसलिए इसे कॉलेज में दाखिला दिया जा सकता सकता है। फिर बच्चा कॉलेज जाता है और डिग्रियाँ बटोरने का हुनर सीखता है। विक्षिप्त लोगों को विकलांग कहना पाप…

ईशनिन्दा और लाठीचार्ज
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ईशनिन्दा कानून का औचित्य क्या है ?

पतियों पर लाठीचार्ज करने और करवाने वालों पर भी ईशनिन्दा कानून के अंतर्गत कार्यवाही होनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने पत्नियों के परमेश्वर का अपमान किया है ?

धर्म और संप्रदाय का अंतर एक चिंतन
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धर्म और संप्रदाय का अंतर: एक चिंतन

मेरा सुझाव तो यह है कि सभी सरकारी व गैर सरकारी फार्म्स से धर्म नाम का कॉलम ही हटा दिया जाये और केवल रिलिजन ही रहने दिया जाए