जागृत व्यक्ति

anupayogi upakran ya insan
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उपभोक्तावाद के गुलाम: इंसान का घटता महत्व और जागरूकता की राह

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आज का समाज उपभोक्तावाद पर आधारित कर्मवाद से ग्रस्त है, जहां इंसानों का महत्व उन्हीं पुराने रेडियो और टीवी सेट्स जैसा हो गया है, जो कभी घरों की शान हुआ करते थे और आज कचरे के ढेर में पड़े हैं। इन उपकरणों की तरह ही, इंसानों को भी तब तक महत्व दिया जाता है, जब…

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जागृत व्यक्तियों के शिष्य
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जागृत व्यक्तियों के शिष्य और अनुयायी जागृत क्यों नहीं हो पाते ?

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बुद्ध द्वारा स्थापित संघ में कोई बुद्ध नहीं बन पाया। मोहम्मद द्वारा स्थापित इस्लाम में कोई मोहम्मद नहीं बन पाया। ओशो द्वारा स्थापित कम्यून में कोई ओशो की तरह निर्भीक जागरूक नहीं हो पाया। क्यों ऐसा होता है कि जागृत व्यक्ति को हमेशा अकेले ही संघर्ष कर उभरना पड़ता है ? क्यों ऐसा होता है…

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समझदार होने का कोई सम्बन्ध नहीं डिग्रीधारी या शास्त्री होने से

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“बहुत पढ़ा हमने फलाने को ढिकाने को।” “बचपन से उनके सानिन्ध्य में रहे हम कई बरसों तक।” सारे शास्त्र, धार्मिक ग्रंथ कंठस्थ हैं हमें, एक-एक आयतें और श्लोक ज़बानी याद है। अरे ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी का टॉपर हैं हम ! भला हमसे बड़ा ज्ञानी और कौन होगा इस दुनिया में ? ऐसे बहुत से…

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