जागृत

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क्यों दुर्लभ होते हैं बुद्ध, ओशो, सुकरात जैसे जागृत और चैतन्य लोग ?

सच तो यह है कि हम सभी के भीतर बुद्ध, ओशो, सुकरात जैसे जागृत और चैतन्य होने का गुण विद्यमान होता है। लेकिन अधिकांश लोग सम्झौता कर लेते हैं और मार देते हैं बुद्ध, ओशो और सुकरात को। और जो सम्झौता नहीं करते, उनमें से अधिकांश को माफियाओं और लुटेरों के गुलाम समाज, सरकारें और…

जागृत वही जो भीड़ और भेड़चाल से मुक्त हो जाए
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समाज और सरकारें नहीं चाहते कि समाज में कोई जागृत हो जाये

जागृत/चैतन्य होने का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि परिवार, समाज और सरकारों का विरोध और प्रकोप सहना होता है और कई बार तो प्राणो से भी हाथ धोना पड़ता है। जैसे कि बहुत से जागृत पत्रकार समाज सेवक जेलों में कैद कर दिये गए, कई को मौत दे दी गयी। और जिस समाज…