जागृति

क्या वास्तव में कुछ बदला
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नये वर्ष का सन्देश: क्या वास्तव में कुछ बदला ?

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आज प्रातःकाल जब नया वर्ष आरम्भ हुआ, तो नयी आशाओं और संभावनाओं की बात हर ओर सुनाई दी।लेकिन गहरे विचार करें तो प्रश्न उठता है: क्या वास्तव में कुछ बदला? कल हम पुराने वर्ष की चौखट पर खड़े होकर नये वर्ष की प्रतीक्षा कर रहे थे। और आज, जैसे पुरानी गाड़ी छोड़कर नयी गाड़ी में…

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रटने और रटाने से क्या लाभ होता है
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गुरु की सीख और अनुयायी की व्याख्या: एक विचारणीय संवाद

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भक्त/अनुयायी:“हमारे गुरुजी महान थे, वही एकमात्र गुरु हैं और उनसे पहले ना तो कोई गुरु पैदा हुआ और ना उनके बाद हुआ। हमारे गुरुजी ने जो कहा, जो लिखा वही परमसत्य है, उसके सिवाय कुछ भी सत्य नहीं है।” जागृत व्यक्ति:“आपके गुरु ने जो भी कहा या लिखा, वह किसलिए कहा और लिखा?” भक्त/अनुयायी:“हमारे गुरुजी…

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अकेला ही चलना पड़ता है
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अकेलेपन से जागृति तक: एक आत्मिक यात्रा

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जागरूकता की पहली किरण पहले मैं संगठन, संस्था, समाज को बहुत महत्व देता था, क्योंकि मैं जागृत नहीं था। लेकिन जिस दिन जागा, उस दिन से फिर कभी किसी संस्था, संगठन, समाज से जुड़ने की इच्छा नहीं हुई। किसी विवशता में यदि जुड़ा भी, तो उस भीड़ में एक एलियन, एक अजनबी की तरह ही…

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paramparik sannyas aur navsannyas
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पारंपरिक संन्यास और नवसंन्यास में अंतर क्यों है ?

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संन्यास, एक ऐसा शब्द है जिसे हम सभी ने सुना है, लेकिन क्या हम सच में इसके अर्थ को समझ पाए हैं? क्या संन्यास का केवल एक ही रूप होता है, या फिर इसे समझने के कई दृष्टिकोण हो सकते हैं? पारंपरिक संन्यास और नवसंन्यास में अंतर समझने के लिए हमें पहले संन्यास की सही…

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