जीवन दर्शन

kya hai manvata ya insaniyat
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क्या है मानवता या इंसानियत ?

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क्या है मानवता या इंसानियत ? यह प्रश्न मैंने कई बार उठाया, लेकिन संतोषजनक उत्तर किसी ने नहीं दिया। जिनसे अपेक्षा थी, वे मौन रहे, और जिन्हें कुछ भी ज्ञात नहीं था, वे निरर्थक बहस में उलझ गए। किसी ने मुझे भिखारी कहा, किसी ने पागल, और किसी ने यह तक कह दिया कि ऐसे…

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अपना दृष्टिकोण बदल लो
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दृष्टिकोण सही-गलत के परे

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श्लोक, किताब और प्रवचन से कुछ समझ में आना होता, तो पढ़े-लिखे विद्वानों को धर्म समझ में आ गया होता। यदि किसी को कुछ समझाना है, तो स्थानीय भाषाओं का ही प्रयोग करना चाहिए। हुआ यह कि हमारे देश में विलायती भाषाओं के माध्यम से ज्ञान बाँटना शिक्षित होने की निशानी है। स्थानीय भाषाओं के…

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क्या वास्तव में कुछ बदला
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नये वर्ष का सन्देश: क्या वास्तव में कुछ बदला ?

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आज प्रातःकाल जब नया वर्ष आरम्भ हुआ, तो नयी आशाओं और संभावनाओं की बात हर ओर सुनाई दी।लेकिन गहरे विचार करें तो प्रश्न उठता है: क्या वास्तव में कुछ बदला? कल हम पुराने वर्ष की चौखट पर खड़े होकर नये वर्ष की प्रतीक्षा कर रहे थे। और आज, जैसे पुरानी गाड़ी छोड़कर नयी गाड़ी में…

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जीवन का उद्देश्य
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क्या जीवन का उद्देश्य परम्पराओं का निर्वहन है ?

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जीवन का उद्देश्य क्या है ? यह प्रश्न लगभग हर व्यक्ति के मन में उठता है। लेकिन इस प्रश्न का उत्तर तलाशने की दिशा में बहुत कम लोग प्रयास करते हैं। अधिकांश लोग अपने जीवन को एक प्रीप्रोग्राम्ड स्वचालित मशीन की तरह जीते हैं। उनके लिए जीवन बस एक ढर्रे पर चलता हुआ क्रम है,…

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सुख दुःख भ्रम या वास्तविकता
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सुख और दुःख: भ्रम या जीवन के वास्तविक अनुभव ?

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विद्वान कहते हैं कि सुख और दुःख केवल भ्रम हैं, असल में न तो कोई सुख है और न ही कोई दुःख। लेकिन क्या यह सच है ? क्या वास्तव में सुख और दुःख केवल हमारी मानसिक स्थिति का परिणाम हैं, या फिर ये जीवन के वास्तविक अनुभव हैं ? यह प्रश्न मेरे मन में…

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क्या आप जागृत और चैतन्य हैं
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जीवन की वास्तविकता: दूसरों की थोपी मान्यताओं से परे

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हमारे जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि सही-गलत, नैतिक-अनैतिक, पाप-पुण्य, हराम-हलाल जैसी अवधारणाएँ हमारे स्वयं के विचार नहीं हैं। ये सब हमारे ऊपर समाज, धर्म, संस्कृति, और संस्थाओं द्वारा थोपी गई मान्यताएँ हैं। इनका सत्य से कोई संबंध नहीं होता, बल्कि यह दूसरों के…

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haal chaal theek thaak hai
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सामाजिक शिष्टाचार और वास्तविकता का अंतर

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कैसे हैं आप? जब भी किसी व्यक्ति से मिलते हैं, पहला प्रश्न यही होता है, “कैसे हैं आप? क्या हाल हैं आपके ?” और उत्तर सामान्यतः यही मिलता है, “मैं बिलकुल ठीक हूं। ईश्वर की कृपा है।” लेकिन क्या यह संवाद हमारी वास्तविकता को दर्शाता है? प्रश्न करने और उत्तर देने वाले दोनों जानते हैं…

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Umkhakoi Lake, Meghalaya, India
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दुनिया की दौड़ जिस तरफ है, उसमें न चैन है और न सुकून

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पैसों की चकाचौंध के पीछे बहुत भागा, लेकिन एक दिन समझ में आया कि धन कितना भी बढ़ जाए, चाहे उसके नीचे दबकर ही मर जाओ, धन की कमी पूरी नहीं होगी । 1989-90 में जब मुझे साउंड स्टूडियो में असिस्टेंट रिकार्डिस्ट की पोस्ट मिली तब मेरी तनखा थी 650/- रुपये महीना । जब रिकार्डिस्ट…

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साधना और स्व की पहचान
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साधना और स्व की पहचान

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कहते हैं, यह कई हज़ार वर्ष पुरानी बात है। मैं एक घने जंगल में साधना कर रहा था। न किसी से मिलना, न बोलना, न खाने-पीने की चिंता और न ही कमाने की। बस एक ही जगह स्थिर होकर अपनी साधना में लीन था। साधना क्या थी? फेसबुक पर अपने विचार लिखना। वर्षों इसी तरह…

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