जीवन का उद्देश्य

anupayogi upakran ya insan
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उपभोक्तावाद के गुलाम: इंसान का घटता महत्व और जागरूकता की राह

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आज का समाज उपभोक्तावाद पर आधारित कर्मवाद से ग्रस्त है, जहां इंसानों का महत्व उन्हीं पुराने रेडियो और टीवी सेट्स जैसा हो गया है, जो कभी घरों की शान हुआ करते थे और आज कचरे के ढेर में पड़े हैं। इन उपकरणों की तरह ही, इंसानों को भी तब तक महत्व दिया जाता है, जब…

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jivan ka uddeshya kya hai
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उद्देश्यपूर्ण जीवन शैली: क्या यह दासत्व को आमंत्रण है?

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क्या आपने कभी सोचा है कि जिम्मेदारियों का बोझ इंसान को कितना थका देता है?एक पिता, एक माता, एक बड़ा भाई, एक बहन, घर का मुखिया, आश्रम का नेतृत्वकर्ता, राज्य या देश का प्रमुख – हर भूमिका के साथ जिम्मेदारियों का एक भारी बोझ जुड़ जाता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि लोग…

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Umkhakoi Lake, Meghalaya, India
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दुनिया की दौड़ जिस तरफ है, उसमें न चैन है और न सुकून

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पैसों की चकाचौंध के पीछे बहुत भागा, लेकिन एक दिन समझ में आया कि धन कितना भी बढ़ जाए, चाहे उसके नीचे दबकर ही मर जाओ, धन की कमी पूरी नहीं होगी । 1989-90 में जब मुझे साउंड स्टूडियो में असिस्टेंट रिकार्डिस्ट की पोस्ट मिली तब मेरी तनखा थी 650/- रुपये महीना । जब रिकार्डिस्ट…

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