जीवन शैली

एकांतप्रिय होने कोई बीमारी नहीं है
| |

आज समाज के नाम पर केवल राजनैतिक, साम्प्रदायिक और जातिवादी भीड़ दिखाई देती है

Shares

जो व्यक्ति समाज और भीड़ से अलग एकांत में रहना पसंद करते हैं और सीमित लोगों से ही मिलते-जुलते या बातचीत करते हैं, उन्हें मनोविज्ञान में “इंट्रोवर्ट” (Introvert) कहा जाता है। इंट्रोवर्ट के लक्षण: 1. एकांत प्रियता: ऐसे लोग अकेले समय बिताना पसंद करते हैं और इसमें उन्हें ऊर्जा मिलती है। उनके लिए एकांत एक…

Shares
सोशल मीडिया की विविध दुनियाएँ
| |

मेरी दुनिया: एक अलग दृष्टिकोण

Shares

सोशल मीडिया की विविध दुनियाएँ सोशल मीडिया आज की दुनिया का एक ऐसा मंच बन चुका है जहाँ हर व्यक्ति अपनी-अपनी रुचियों और सोच के अनुरूप एक अलग दुनिया बसा चुका है। साम्प्रदायिक लोगों की अपनी दुनिया है, जहाँ केवल हिन्दू-मुस्लिम विवादों पर चर्चा होती है। उनके मित्र, परिवार और समाज सब इसी खेल में…

Shares
jivan ka uddeshya kya hai
| |

उद्देश्यपूर्ण जीवन शैली: क्या यह दासत्व को आमंत्रण है?

Shares

क्या आपने कभी सोचा है कि जिम्मेदारियों का बोझ इंसान को कितना थका देता है?एक पिता, एक माता, एक बड़ा भाई, एक बहन, घर का मुखिया, आश्रम का नेतृत्वकर्ता, राज्य या देश का प्रमुख – हर भूमिका के साथ जिम्मेदारियों का एक भारी बोझ जुड़ जाता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि लोग…

Shares
कौन सा मार्ग या जीवन शैली उचित है मानसिक शांति और आध्यात्मिक उत्थान के लिए
| |

कौन सा मार्ग या जीवन शैली उचित है मानसिक शांति और आध्यात्मिक उत्थान के लिए ?

Shares

अहंकार-मुक्त भक्ति-मार्ग और अहंकार-युक्त पाषाण-मार्ग में से कौन सा मार्ग श्रेष्ठ है ? धार्मिक ग्रन्थों और धर्मगुरुओं का कहना है भक्ति-मार्ग ही श्रेष्ठ मार्ग है, क्योंकि भक्ति-मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति अहंकार मुक्त होकर पंख, राजनेता, राजनैतिक पार्टियों, बाबाओं, अभिनेताओं और इन सभी के भक्तों की तरह हवा में उड़ता है। जबकि पाषाण-मार्ग में चलने…

Shares
Priceless wpp1670606122453
| | |

बिना कोल्हू का बैल बने जीना भी एक जीवन शैली है

Shares

अधिकांश लोग आजीवन नहीं समझ पाएंगे कि बिना कोल्हू का बैल बने, गुलामी किए जीना भी एक जीवन शैली है। नहीं जान पाएंगे अधिकांश लोग कि अपने मकान में अपना मन-पसंद काम करते हुए, चाय/कॉफी पीते हुए शांति से जीने से अधिक मूल्यवान और कुछ नहीं। बस यही शांति प्राप्त करने के लिए इंसान आजीवन…

Shares
पूर्व जन्मों के संचित कर्म
| | |

पूर्वजन्मों का संचित कर्म तय करता है कि आपका जीवन कैसा होगा

Shares

सोशल मीडिया पर आध्यात्म मत परोसिए। क्योंकि आध्यात्म कोई परोसने की चीज है ही नहीं। आध्यात्म तो स्वयं को जानने, समझने का माध्यम मात्र है। बहुत से लोग मुझसे अपेक्षा करते हैं कि सोशल मीडिया पर राजनैतिक लेखों की बजाय आध्यात्मिक लेख लिखा करूँ। लेकिन आध्यात्मिक लेख लिखने का लाभ क्या है ? ये जो…

Shares
koi pratispardha nahi
| |

मेरी जीवन शैली अलग, आपकी जीवन शैली अलग: प्रतिस्पर्धा का कोई प्रश्न नहीं

Shares

भारत में वर्षा, वृक्ष, नदी और संत नि:स्वार्थ भाव के प्रतीक माने जाते हैं। ऐसा नहीं है कि भारत में ही संतों को महत्व मिलता है, विदेशों में भी संतों को महत्व मिलता है, जैसे कि संत-वेलेंटाइन। यह विषय आज इसलिए चुना क्योंकि वर्तमान समाज व शिक्षा कर्मयोग को महत्व देती है। उनके लिए बाकी…

Shares