जगत तो केवल माया है, कौन यहाँ कुछ लेकर आया है !
परमज्ञान प्राप्त होने का अर्थ यह नहीं है कि हम सृष्टि के मायावी खेल को न खेलें । यदि ऐसा ही होता तो श्री कृष्ण अर्जुन को युद्ध के लिए न कहते ।
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