आज प्रकृत जीवन की खुशबू ही गायब पर हवा, पानी में प्लास्टिक और जहर!
अब इन गन्ने के छिलके के बर्तनों को फेंकने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि काॅकरी या घर के बर्तनों की तरह फिर से उसे धोकर साफ कर इस्तेमाल किया जा सकेगा।
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अब इन गन्ने के छिलके के बर्तनों को फेंकने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि काॅकरी या घर के बर्तनों की तरह फिर से उसे धोकर साफ कर इस्तेमाल किया जा सकेगा।
जो पूंजीवादी सरकारी नौकरी के आधार पर जीते हैं, वे गुलाम है, इसीलिए आप जैसे गुलामों को तलवे के नीचे रखकर पालने की जिम्मेदारी वह उठाती है! पूंजीवादी सरकारी नौकरी के आधार पर आपके जीवन की सारी उत्तरदायित्व उठाती तो है पर धीमी जहर देकर, जिससे आपको पता भी न चले, जिसके कारण आपको पूरी…
अन्नपूर्णा देश में स्वार्थी मानव का प्रकृति के प्रति कोई निस्वार्थ प्रेम नहीं, सिवाय जहरीले खेती और बाजारीकरण के?