काम

chunmun pardesi aur aaraam ka samay

चुनमुन परदेसी और आराम का समय

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कई हज़ार वर्ष पुरानी बात है। चुनमुन परदेसी नामक महान संन्यासी हुआ करते थे। उन्हें लिखने का बड़ा शौक था और और उनकी लिखी हजारों किताबें मार्किट में उपलब्ध थीं। लोग उनकी किताबें पढ़कर प्रेरणा लेते थे। बहुत से बच्चे तो उन्हीं की किताबें पढ़कर बड़े-बड़े सरकारी अधिकारी बन चुके थे। लेकिन देखा किसी ने…

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ajagar kare na chakari
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अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम…

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अब प्रश्न यह कि चाकरी करना यदि ईश्वरीय आदेश होता, या सनातन धर्म होता, तो सभी प्राणी चाकरी करते। केवल मानव ही चाकरी यानी नौकरी करने के लिए जन्म ले रहा है, तो क्यों ?

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काम क्रोध लोभ मोह से भयभीत समाज
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काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से भयभीत समाज

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काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को इतना तिरस्कृत किया गया है कि ये मानव के भाव न होकर किसी दूसरे ग्रह से आयातित भाव लगते हैं। काम – सृष्टि का मूल केंद्र है लेकिन सर्वाधिक निन्दित भी है। क्रोध – असहमति व अधिकार जताने का स्वाभाविक गुण लेकिन निन्दित है। लोभ – प्रेरणा है जीवन…

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