आस्तिक, नास्तिक, सात्विक और धार्मिक समाज दोगले और अधार्मिक क्यों होते हैं ?
कई प्रयोग करते हुए निरंतर बढ़ा चला जा रहा हूँ, लेकिन मेरा प्रयोग केवल मेरे लिए है। मेरे अपने ही आध्यात्मिक उत्थान के लिए। बिलकुल वैसे ही जैसे कोई ऋषि बियाबान में ध्यान करता रहता है, मैं समाज में रहकर ध्यान कर रहा हूँ। मेरा ध्यान उस रहस्य को जानने के लिए है, जिसे आज…