कोल्हू का बैल

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कर्म और कर्मवाद में वही अंतर है जो ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद में है

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बहुत शोर मचाते हैं मजदूर और शूद्र यूनियन के लोग कि श्रीकृष्ण ने कहा था कर्मवादी बनो, मजदूरी करो, मेहनत करो। लेकिन कर्मवाद का शोर मचाने वाले नहीं जानते कि कर्म और कर्मवाद में वही अंतर है, जो ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद में हैं। जो अंबेडकर और अंबेडकरवाद में है। ब्राह्मणवादी होना आसान है, लेकिन ब्राह्मण…

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muftkhor prani
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समस्त ब्रह्माण्ड में मानव ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो मुफ्तखोर नहीं

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समस्त ब्रह्माण्ड में, मानव ही एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो मुफ्तखोर, हरामखोर नहीं है। कीमत चुका कर, मेहनत करके खाता है। और मेहनत क्या करता है ? माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों की चाकरी और गुलामी। कीमत क्या चुकाता है ? अपना ईमान, जमीर, जिस्म, बुद्धि, विवेक सब गिरवी रखकर कोल्हू का बैल…

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समझदार होने का कोई सम्बन्ध नहीं डिग्रीधारी या शास्त्री होने से

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“बहुत पढ़ा हमने फलाने को ढिकाने को।” “बचपन से उनके सानिन्ध्य में रहे हम कई बरसों तक।” सारे शास्त्र, धार्मिक ग्रंथ कंठस्थ हैं हमें, एक-एक आयतें और श्लोक ज़बानी याद है। अरे ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी का टॉपर हैं हम ! भला हमसे बड़ा ज्ञानी और कौन होगा इस दुनिया में ? ऐसे बहुत से…

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बिना कोल्हू का बैल बने जीना भी एक जीवन शैली है

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अधिकांश लोग आजीवन नहीं समझ पाएंगे कि बिना कोल्हू का बैल बने, गुलामी किए जीना भी एक जीवन शैली है। नहीं जान पाएंगे अधिकांश लोग कि अपने मकान में अपना मन-पसंद काम करते हुए, चाय/कॉफी पीते हुए शांति से जीने से अधिक मूल्यवान और कुछ नहीं। बस यही शांति प्राप्त करने के लिए इंसान आजीवन…

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kolhu ka bail
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क्यों चाहता है समाज कि व्यक्ति कोल्हू का बैल ही बना रहे ?

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क्यों चाहता है समाज कि व्यक्ति अपनी मौलिकता में ना जिये, बल्कि वैसा जीए जैसे दूसरे जी रहे हैं ? क्यों चाहता है समाज कि व्यक्ति वह न करे जो वह करना चाहता है, बल्कि वह करे जो दूसरे कर रहे हैं ? क्यों चाहता है समाज कि व्यक्ति कोल्हू का बैल ही बने और…

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