कर्मवाद

स्वतन्त्रता या परतंत्रता

स्वतन्त्रता के विरुद्ध और परतंत्रता के समर्थन में होता है समाज

स्वतन्त्रता और परतंत्रता की परिभाषाएँ भी स्पष्ट नहीं हैं यदि समाज पर नजर डालें। क्योंकि समाज ने परतंत्रता को भी स्वतन्त्रता बिलकुल वैसे ही स्वीकार लिया है, जैसे साम्प्रदायिक द्वेष और घृणा पर आधारित मानसिकता, रीतिरिवाज, मान्यताओं, परम्पराओं, कर्मकाण्डों को धर्म और साम्प्रदायिक द्वेष और आतंक परोसकर शासन करने वालों को धार्मिक मान लिया गया।…

चाकरी और गुलामी
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कर्म और श्रम ही जीवन है चाकरों और गुलामों के लिए

कहते हैं लोग कि कुछ करो क्योंकि कर्म करने के लिए आए हैं हम दुनिया में। और कर्म भी वही करो, जो माफिया और देश के लुटेरे चाहते हैं कि करो। यूपीएससी क्लियर करो आईएएस, आईपीएस बनो और अपने ही देश की जनता को लूटने और लुटवाने में सहयोगी बनो। छोटे-मोटे अपराधियों को पकड़ो, निर्दोषों…

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कर्मयोग नहीं है कर्मवाद

अधिकांश लोग कर्मवाद और कर्मयोग को एक ही मानते हैं। जबकि कर्मवाद और कर्मयोग में जमीन आसमान का अंतर होता है। कर्मवाद क्या है ? कर्मवाद बिलकुल वैसा ही वाद है, जैसा गांधीवाद, अंबेडकरवाद, पेरियारवाद, पैगंबरवाद, समाजवाद, साम्यवाद….आदि। कर्मवादी लोग दीमक, चींटियों और मधुमक्खियों की तरह मेहनती होते हैं और केवल कर्म करते रहते हैं…

सच्चे कर्मयोगी होते हैं शैतान और उनके ग़ुलाम
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शैतान की ग़ुलाम तीन उँगलियाँ आपकी तरफ उठ जाएँगी

“भला आदमी तो कभी खाली भी बैठ जाए, बुरा आदमी बिलकुल खाली नहीं बैठ सकता। कुछ न कुछ करने की कोशिश जारी रहेगी।” – ओशो बुरा व्यक्ति हो या आत्मा कर्मवाद के सिद्धान्त का अनुसरण करते हैं। भला व्यक्ति कर्मवाद पर इतना ध्यान नहीं देगा। वह संतुष्ट है तो अपनी धुन में मस्त रहेगा, अकेला…

कर्मवाद और कर्मयोग में अंतर है
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कर्मवाद का आधार है चाकरी और गुलामी

मानव का जन्म माफियाओं और देश के लुटेरों की चाकरी करने के लिए हुआ है। और जो चाकरी या गुलामी से इंकार कर दे, वह ढोंगी, पाखंडी, हरामखोर है, मुफ्तखोर है। ऐसी धारणा को धारण करके कोल्हू का बैल बनकर माफियाओं और लुटेरों की सेवा करना कर्मवाद कहलाता है। कर्मवाद का आधार ही है चाकरी…

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कर्म और कर्मवाद में वही अंतर है जो ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद में है

बहुत शोर मचाते हैं मजदूर और शूद्र यूनियन के लोग कि श्रीकृष्ण ने कहा था कर्मवादी बनो, मजदूरी करो, मेहनत करो। लेकिन कर्मवाद का शोर मचाने वाले नहीं जानते कि कर्म और कर्मवाद में वही अंतर है, जो ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद में हैं। जो अंबेडकर और अंबेडकरवाद में है। ब्राह्मणवादी होना आसान है, लेकिन ब्राह्मण…