क्रोध

mahadev shiva
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क्रोध विहीन व्यक्ति बुद्ध बन सकता है या फिर माफियाओं का गुलाम

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कहते हैं उन्हीं साधु संतों, ज्ञानियों को क्रोध आता है, जिनका ज्ञान अधूरा हो। और दुनिया में ऐसा कोई कभी पैदा हुआ नहीं, जिसका ज्ञान पूरा हो चुका, जिसके पास जानने के लिए और कुछ ना बचा हो। कहते हैं महर्षि रमण के पास एक पंडित पहुंच गया शास्त्रार्थ करने। रमण बोले ये सब व्यर्थ…

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काम क्रोध लोभ मोह से भयभीत समाज
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काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से भयभीत समाज

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काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को इतना तिरस्कृत किया गया है कि ये मानव के भाव न होकर किसी दूसरे ग्रह से आयातित भाव लगते हैं। काम – सृष्टि का मूल केंद्र है लेकिन सर्वाधिक निन्दित भी है। क्रोध – असहमति व अधिकार जताने का स्वाभाविक गुण लेकिन निन्दित है। लोभ – प्रेरणा है जीवन…

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