ब्राह्मण और क्षत्रिय लुप्त नहीं हुए हैं अभी तक
वैश्य अर्थात वे लोग जो व्यापार करते हैं। वैश्यों की कोई विशेष भेषभूषा नहीं होती। वे साधु-संतों के भेष में भी होते हैं और समाजसेवकों, राजनेताओं, पुलिस के भेष में भी। भले वैश्यों का अपना समाज हो, लेकिन वैश्य समाज से बाहर भी वैश्य पाये जाते हैं, क्योंकि व्यापार किसी समाज की बपौती नहीं है।…