क्षत्रिय

ब्राह्मण और साधु संत
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ब्राह्मण और क्षत्रिय लुप्त नहीं हुए हैं अभी तक

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वैश्य अर्थात वे लोग जो व्यापार करते हैं। वैश्यों की कोई विशेष भेषभूषा नहीं होती। वे साधु-संतों के भेष में भी होते हैं और समाजसेवकों, राजनेताओं, पुलिस के भेष में भी। भले वैश्यों का अपना समाज हो, लेकिन वैश्य समाज से बाहर भी वैश्य पाये जाते हैं, क्योंकि व्यापार किसी समाज की बपौती नहीं है।…

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ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र
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डिग्रियाँ आपको चपरासी से मैनेजर बना सकती हैं किन्तु शिक्षित नहीं

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कहते हैं शिक्षा यदि वरदान है, तो अभिशाप भी। यदि योग्य और विवेकवान व्यक्ति को शिक्षा मिलती है, तो उसके लिए ही नहीं, समस्त विश्व के लिए वरदान हो जाएगा। लेकिन यदि शिक्षा अयोग्य और कुंद-बुद्धि व्यक्ति को मिलती है, तो समस्त विश्व के लिए अभिशाप बन जाएगा। एक बुद्धिहीन व्यक्ति के प्रश्न भी ऐसे…

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ब्राह्मण और क्षत्रिय अपना आस्तित्व बचाएं तो बचाएं कैसे ?

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समस्त विश्व से ऋषि लुप्त हो गए और ब्राह्मण और क्षत्रिय लुप्त होने के कागार पर पहुँच गए। जानते हैं क्यों ? बरसों तक ग़ुलामी में जीने के कारण अधर्मियों, अत्याचारियों, माफियाओं, देश व जनता को लूटने वाली पार्टियों, सरकारों का विरोध करने की क्षमता खो चुके समाज ने ग़ुलामी को ही अपनी नियति मान…

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क्षत्रिय विहीन आधुनिक भारत !

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कहते हैं परशुराम ने पृथ्वी को 21बार क्षत्रिय विहीन कर दिया था। तो इसका अर्थ यह कि आज जो स्व्यं को क्षत्रिय कहकर इतराते फिर रहे हैं, वे क्षत्रिय हैं ही नहीं ? अब शायद दुनिया को समझ में आ जाये कि केवल वैश्य और शूद्र ही हों, ब्राह्मण और क्षत्रिय न हों तो देश…

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