मैं सुखी तो जग सुखी

कुछ लोग समय से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं
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कुछ लोग समय से पहले बूढ़े हो जाते हैं

कुछ लोग समय से पहले ही बूढ़े हो चुके हैं। उनकी मनःस्थिति अब उन वृद्धों जैसी है, जो कब्र में पैर लटकाए बैठे हैं मृत्यु की प्रतीक्षा में। ऐसे लोगों को ध्यान की गहराइयों में डूबे रहने का मन करता है, ऐसे लोगों को ईश्वर, बाबा या नेताओं की स्तुति-वंदन, भजन-कीर्तन, पूजा-पाठ, रोज़ा-नमाज में डूबे…

मानव जीवन का उद्देश्य
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क्या मानव जीवन का उद्देश्य “मैं सुखी तो जग सुखी के सिद्धान्त पर जीना मात्र है ?

गौतम बुद्ध हों, महावीर हों, या ओशो या #Modern #Motivational, #Financial, #Educational Guru, सभी की शिक्षाओं का मूल सार यही होता है कि मानव जीवन का उद्देश्य “मैं सुखी तो जग सुखी” के सिद्धान्त पर जीते हुए मोक्ष प्राप्त करना। जितने भी आध्यात्मिक, धार्मिक गुरुओं को मैंने पढ़ा या सुना, सभी के प्रवचनों का सार…

ubuntu
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Ubuntu: मैं हूँ क्योंकि हम हैं !

सुसंस्कृत, सभ्य, धार्मिक व पढ़े-लिखे समाज को जब मैं देखता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है कि ये लोग मेरे लिए अजनबी हैं। ये लोग मुझे कभी भी अपने जैसे नहीं लगते, बहुत गैर लगते हैं। शायद यही कारण रहा कि मैं इनसे दूर एकांत में रहना पसंद करता हूँ। मिलना जुलना भी रास नहीं…

main sukhi to jag sukhi ka siddhant ek bhranti
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मैं सुखी तो जग सुखी का सिद्धान्त ले डूबा प्राणी जगत को

आज के पढ़े-लिखे समाज ने एक बहुत बड़ा भ्रम पाल लिया है कि भौतिक सुख ही वास्तविक सुख है, और बाकी सब मिथ्या। इन्हें लगता है कि इंसानों द्वारा किए गए आविष्कार ही जीवन के आधार हैं, बाकी सब निरर्थक। यह विचारधारा इतनी गहराई तक समा चुकी है कि इनकी स्थिति उन धार्मिक कट्टरपंथियों जैसी…