मानसिकता

prasiddha logon kii duniya se doori
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उपयोगी प्राणी बनाम सहयोगी प्राणी: एक आत्मचिंतन

हम अक्सर समाज में प्रसिद्ध और समृद्ध लोगों की ओर आकर्षित होते हैं। हमें लगता है कि इन व्यक्तियों की संगति से हमारा जीवन भी समृद्ध और प्रसिद्ध हो सकता है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है? क्या प्रसिद्ध व्यक्तियों की मित्रता या अमीरों का साथ हमारे जीवन को बेहतर बना सकता है? यह…

आश्रम अब आध्यात्मिक केंद्र नहीं रहे
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आश्रम अब आध्यात्मिक केंद्र नहीं रहे

आधुनिक समय में आश्रमों का स्वरूप और उद्देश्य दोनों बदल चुके हैं। अब ये आध्यात्मिक साधना और आत्मान्वेषण के केंद्र न रहकर छुट्टियाँ बिताने, पिकनिक और पार्टी करने के स्थान बन चुके हैं। यहाँ आकर न केवल लोग मौज-मस्ती करते हैं, बल्कि खुद को धार्मिक, सात्विक और आध्यात्मिक होने का अहंकार भी बनाए रखते हैं।…

jivan ka uddeshya kya hai
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उद्देश्यपूर्ण जीवन शैली: क्या यह दासत्व को आमंत्रण है?

क्या आपने कभी सोचा है कि जिम्मेदारियों का बोझ इंसान को कितना थका देता है?एक पिता, एक माता, एक बड़ा भाई, एक बहन, घर का मुखिया, आश्रम का नेतृत्वकर्ता, राज्य या देश का प्रमुख – हर भूमिका के साथ जिम्मेदारियों का एक भारी बोझ जुड़ जाता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि लोग…