नैतिकता

chunmun pardesi aur nihswarth sevaa ka drishtikon
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चुनमुन परदेसी और निःस्वार्थ सेवा का दृष्टिकोण

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कई हज़ार वर्ष पुरानी बात है। चुनमुन परदेसी एक ऐसे देश में पहुंचा, जहां के लोग बहुत मेहनती थे और अपनी मेहनत के दम पर जिंदा रहते थे। उस देश में ना तो कोई किसी से सहायता मांगता था, और ना ही कोई किसी की सहायता करता था। शुद्ध कर्मवादी वैश्यों और शूद्रों का देश…

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kya hai manvata ya insaniyat
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क्या है मानवता या इंसानियत ?

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क्या है मानवता या इंसानियत ? यह प्रश्न मैंने कई बार उठाया, लेकिन संतोषजनक उत्तर किसी ने नहीं दिया। जिनसे अपेक्षा थी, वे मौन रहे, और जिन्हें कुछ भी ज्ञात नहीं था, वे निरर्थक बहस में उलझ गए। किसी ने मुझे भिखारी कहा, किसी ने पागल, और किसी ने यह तक कह दिया कि ऐसे…

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अपना दृष्टिकोण बदल लो
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दृष्टिकोण सही-गलत के परे

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श्लोक, किताब और प्रवचन से कुछ समझ में आना होता, तो पढ़े-लिखे विद्वानों को धर्म समझ में आ गया होता। यदि किसी को कुछ समझाना है, तो स्थानीय भाषाओं का ही प्रयोग करना चाहिए। हुआ यह कि हमारे देश में विलायती भाषाओं के माध्यम से ज्ञान बाँटना शिक्षित होने की निशानी है। स्थानीय भाषाओं के…

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जब कोई साथ ना हो तब भी कोई साथ होता है
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जब अपने साथ छोड़ देते हैं तब परायों से सहयोग मिलता है

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सोशल मीडिया के समझदार, कर्मवादी और मेहनती लोगों ने मुझे अपनी फ्रेंडलिस्ट से बाहर निकाल दिया है। कारण पर चिंतन किया तो यही समझ में आया कि मैं उनकी तरह समझदार, कर्मवादी और मेहनती नहीं हूँ। मैं सोशल मीडिया पर दान और आर्थिक सहयोग मांग लेता हूँ। और मेहनती, कर्मवादी लोगों की नजर में दान…

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क्या आप जागृत और चैतन्य हैं
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जीवन की वास्तविकता: दूसरों की थोपी मान्यताओं से परे

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हमारे जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि सही-गलत, नैतिक-अनैतिक, पाप-पुण्य, हराम-हलाल जैसी अवधारणाएँ हमारे स्वयं के विचार नहीं हैं। ये सब हमारे ऊपर समाज, धर्म, संस्कृति, और संस्थाओं द्वारा थोपी गई मान्यताएँ हैं। इनका सत्य से कोई संबंध नहीं होता, बल्कि यह दूसरों के…

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चीर हरण का मूक दर्शक होता है पराधीन व्यक्ति और समाज
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पराधीन व्यक्ति और समाज में धार्मिकता, नैतिकता और देशभक्ति नहीं पायी जाती

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जो देश की सेवा करने की शपथ लेते हैं, देश पर मर-मिटने की शपथ लेते हैं, जनता की सुरक्षा की शपथ लेते हैं, उनमें भी देशभक्ति नहीं पायी जाती। जो नियमित पूजा, पाठ, रोज़ा-नमाज, व्रत-उपवास, ध्यान, जाप, कीर्तन-भजन करते हैं, उनमें भी देशभक्ति नहीं पायी जाती। जानते हैं क्यों ? क्योंकि वेतनभोगी, पेंशनभोगी, कमीशनखोर, रिश्वतखोर,…

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dharti se kisi ko prem nahi
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इस धरती से किसी को प्रेम नहीं, आओ चले इस को नष्ट छोड़, चांद-सितारे ओर ग्रहों पर !

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इस धरती से किसी को प्रेम नहीं, आओ चले इस धरती को नष्ट छोड़, चांद सितारों ओर ग्रहों पर!

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भेड़ों के समाज के लिए क्या चिंता, क्या फिक्र, वो तो थाली-ताली बजा, टीका ठोंक कर खुश है !

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भेड़ों के समाज के लिए क्या चिंता, क्या फिक्र, वो तो थाली-ताली बजा, टीका ठोंक कर खुश है!

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नैतिकता और परोपकार की शिक्षा व्यावहारिक क्यों नहीं 1
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नैतिकता और परोपकार की शिक्षा व्यावहारिक क्यों नहीं ?

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नैतिकता और परोपकार की जो शिक्षा दी जाती है, वह व्यवहारिक रूप से उन लोगों में देखने नहीं मिलता, जिनके सामने नतमस्तक रहते हैं देश के धार्मिक, आध्यात्मिक, नैतिक, चरित्रवान लोग। नैतिकता और परोपकार जनसाधारण में भी देखने नहीं मिलता और अब तो गरीबों में भी देखने नहीं मिलता। होता केवल इतना ही है कि…

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अधर्म के विरुद्ध नहीं समाज
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अधर्म के विरुद्ध नहीं समाज, संगठन और सम्प्रदाय

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“गुरुओं के नाम पर बड़े-बड़े सम्प्रदाय, संगठन, संस्थाएँ और समाज बनाए जाते हैं। ये समाज और संगठन अक्सर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना को प्रोत्साहित करने, लोगों को एक मंच पर लाने और सहयोग व सहानुभूति का विस्तार करने का प्रयास भी करते हैं। संगठन, सम्प्रदायों, समाजों के ठेकेदार दूसरों के मोहल्लों में अपने गुरुओं की…

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aankh kaan munh band
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ज़िंदा रहना है तो आँख, कान, मुँह बन्द करके जीना सीखो

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यदि आपमें ये तीन गुण नहीं हैं, तो निश्चित मानिए आप कभी भी उन्नति नहीं कर पाएंगे। यदि आप नौकरी कर रहे हैं, तो आपका प्रोमोशन नहीं होगा। यदि आप व्यवसाय कर रहे हैं, तो घाटे में रहेंगे और एक दिन सपरिवार आत्महत्या कर लेंगे। यदि आप चैतन्य साधू-संत हैं तो ना कोई प्रणामी देगा,…

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dharm aru asthaa ke viruddh abhiyaan
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धर्म और आस्तिकता के विरुद्ध अभियान का दुष्परिणाम

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जब तक लोग अनपढ़, आस्तिक और धार्मिक थे, तब तक मान्यता थी कि यदि आपका पड़ोसी भूखा है और आप के गले से निवाला उतर जाता हो, तो निश्चित मानिए आप इंसान नहीं शैतान हैं।

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