क्या सीखा समाज ने गुरुओं से नामजाप, स्तुतिवंदन कीर्तन भजन के सिवाय ?
एक महान गुरु से भेंट हुई मेरी और बताया गया कि इनमें बहुत सिद्धि है, इनकी आयु सवा सौ वर्ष से भी अधिक है और अभी भी पूर्णतः स्वार्थ हैं। जो भी इन्हें पूजता है, या इनके प्रति समर्पित होता है उनके सभी दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं। मैंने उनसे पूछा कि वे…