ये दुनिया एक बाज़ार है और समाज व सरकारें बिकाऊ
अधिकांश तीर्थयात्री व्यक्तिगत स्वार्थों, कामनाओं की पूर्ति की आशा से जाते हैं और बाकी सब पर्यटन (सैर-सपाटे) के उद्देश्य से। मैंने आज तक एक भी तीर्थ यात्री ऐसा नहीं देखा जो आत्मिक, आध्यात्मिक ज्ञान और उत्थान हेतु तीर्थ स्थलों पर पहुँचा हो। देखा जाये तो धार्मिक और आध्यात्मिक जितनी भी यात्राएं हैं, सभी लोभ और स्वार्थ से भरी हुई यात्राएं होती हैं