पंडित

ये दुनिया एक बाज़ार है और...
| | |

ये दुनिया एक बाज़ार है और समाज व सरकारें बिकाऊ

Shares

अधिकांश तीर्थयात्री व्यक्तिगत स्वार्थों, कामनाओं की पूर्ति की आशा से जाते हैं और बाकी सब पर्यटन (सैर-सपाटे) के उद्देश्य से। मैंने आज तक एक भी तीर्थ यात्री ऐसा नहीं देखा जो आत्मिक, आध्यात्मिक ज्ञान और उत्थान हेतु तीर्थ स्थलों पर पहुँचा हो। देखा जाये तो धार्मिक और आध्यात्मिक जितनी भी यात्राएं हैं, सभी लोभ और स्वार्थ से भरी हुई यात्राएं होती हैं

Shares
ddb2de957c9ae5f7e9b2306fde8aaf56

मंदिर में बैठे पण्डित, पुजारी, पुरोहित हराम का नहीं खा रहे

Shares

राजनैतिक विरोध अपनी जगह, किसी सम्प्रदाय या व्यक्ति के उत्पातों और गुंडागर्दी का विरोध अपनी जगह। लेकिन जब आप विरोध में इतने गिर जाते हैं कि हर किसी को हरामखोर और खुद को मेहनती समझने लगते हैं, तब आप भी मेरे निशाने पर आ जाते हैं। जैसे कि किसी ने लिखा, “जैसे भिखारी को सलाह…

Shares
शास्त्रार्थ से कोई ज्ञानी सिद्ध नहीं हो सकता
|

शास्त्रार्थ से कोई पंडित ज्ञानी सिद्ध नहीं हो सकता

Shares

एक प्रकांड पंडित एक दिन एक गाँव से गुजरे। चूँकि अत्याधिक थक गये थे सो एक पेड़ के नीचे सुस्ताने के लिए बैठ गये। धीरे धीरे करके गाँव के सभी लोग इकट्ठे हो गये और उनसे उनका परिचय माँगा। जब उन्होंने अपना नाम बताया सारे गाँव को लोग उनकी जय-जय कार करने लगे। पंडित जी…

Shares