पराधीन

चीर हरण का मूक दर्शक होता है पराधीन व्यक्ति और समाज
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पराधीन व्यक्ति और समाज में धार्मिकता, नैतिकता और देशभक्ति नहीं पायी जाती

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जो देश की सेवा करने की शपथ लेते हैं, देश पर मर-मिटने की शपथ लेते हैं, जनता की सुरक्षा की शपथ लेते हैं, उनमें भी देशभक्ति नहीं पायी जाती। जो नियमित पूजा, पाठ, रोज़ा-नमाज, व्रत-उपवास, ध्यान, जाप, कीर्तन-भजन करते हैं, उनमें भी देशभक्ति नहीं पायी जाती। जानते हैं क्यों ? क्योंकि वेतनभोगी, पेंशनभोगी, कमीशनखोर, रिश्वतखोर,…

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पढ़ा लिखा समाज
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जनता स्वयं पराधीन और शोषित जीवन को आमंत्रित करती है

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अभी कुछ दिनों से झारखण्ड के जैन तीर्थ स्थल पारस नाथ का का मुद्दा उछल गया। एक जैन मुनि ने आत्महत्या कर ली पारसनाथ की रक्षा के लिए। सचिन झा शेखर का यह लेख पढ़िये पहले फिर आगे बढ़ते हैं: यह बात सही है कि पारसनाथ जैन धर्म का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। लेकिन…

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