रक्षक

dharti se kisi ko prem nahi
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इस धरती से किसी को प्रेम नहीं, आओ चले इस को नष्ट छोड़, चांद-सितारे ओर ग्रहों पर !

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इस धरती से किसी को प्रेम नहीं, आओ चले इस धरती को नष्ट छोड़, चांद सितारों ओर ग्रहों पर!

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हे मेहनती किसान तुम ही सरकार, तुम ही भगवान, अपनी अहमियत पहचान, तुम गुलाम नहीं !

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हे मेहनती किसान तुम ही सरकार, तुम ही भगवान, अपनी अहमियत पहचान, तुम गुलाम नहीं!

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