काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से भयभीत समाज
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को इतना तिरस्कृत किया गया है कि ये मानव के भाव न होकर किसी दूसरे ग्रह से आयातित भाव लगते हैं। काम – सृष्टि का मूल केंद्र है लेकिन सर्वाधिक निन्दित भी है। क्रोध – असहमति व अधिकार जताने का स्वाभाविक गुण लेकिन निन्दित है। लोभ – प्रेरणा है जीवन…