मेरी वेदना मेरी आवाज़ है मेरी लेखनी
माना कि मेरे लेख मेन स्ट्रीम मीडिया की चकाचौंध से दूर रहते हैं। माना कि इन शब्दों से किसी के मन में कोई उथल-पुथल नहीं मचती, न कोई क्रांति जन्म लेती है, न ही कोई बड़ा बदलाव आता है। फिर भी, मैं लिखता हूं। क्यों? क्योंकि लिखना मेरा काम नहीं, मेरी सांस है। जैसे जंगल…