शिक्षित

jaraa si shiksha
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दुनिया जितनी शिक्षित होती जाती है उतनी ही बुरी क्यों हो जाती है ?

बुद्धिमानी का उपयोग लोग जीवन के सत्य को पाने के लिये नहीं, बुद्धिमानी का उपयोग लोग दूसरे का शोषण करने के लिये; बुद्धिमानी का उपयोग स्वयं के अनुभव को पाने के लिये नहीं, सृजनात्मक नहीं, विध्वंसात्मक करते हैं। इसलिये जैसे-जैसे बुद्धि बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे बेईमानी बढ़ती जाती है। विचारक हमेशा से परेशान रहे हैं…

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हमारे पुर्वज स्वतंत्र और आत्मनिर्भर थे

हमारे पुर्वज स्वतंत्र, आत्मनिर्भर थे, किसी के गुलाम नहीं, क्योंकि वे न डिग्रीधारी थे न गुलाम थे, बल्कि शिक्षित थे!

युगांडा का वकील जोर्डन किनयेरा
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शिक्षा जीवन का आधार है, इसके बिना सब बेकार है

सुनता आ रहा हूँ बचपन से कि शिक्षा नहीं तो कुछ भी नहीं। बहुत से स्लोगन सुने मैंने शिक्षा पर जैसे कि…. 1. शिक्षा जीवन का आधार है, इसके बिना सब बेकार है। 2. शिक्षा का सार सिखाती है, सभी परेशानीयो से हमें बचाती है। 3. सभी समस्यायों का होगा हल, शिक्षा से होगा एक…

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समझदार होने का कोई सम्बन्ध नहीं डिग्रीधारी या शास्त्री होने से

“बहुत पढ़ा हमने फलाने को ढिकाने को।” “बचपन से उनके सानिन्ध्य में रहे हम कई बरसों तक।” सारे शास्त्र, धार्मिक ग्रंथ कंठस्थ हैं हमें, एक-एक आयतें और श्लोक ज़बानी याद है। अरे ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी का टॉपर हैं हम ! भला हमसे बड़ा ज्ञानी और कौन होगा इस दुनिया में ? ऐसे बहुत से…

Politics Rajnaitik partiyon ko bhi dharm kyon nahi ghoshit kar dete

राजनैतिक पार्टियों को भी धर्म घोषित क्यों नहीं कर देते ?

कहते हैं डिग्रियाँ बटोरने के लिए स्कूल जाना जरूरी है। फिर स्कूल सर्टिफिकेट जारी करता है कि यह बालक अब डिग्रियाँ बटोरने के योग्य हो गया है इसलिए इसे कॉलेज में दाखिला दिया जा सकता सकता है। फिर बच्चा कॉलेज जाता है और डिग्रियाँ बटोरने का हुनर सीखता है। विक्षिप्त लोगों को विकलांग कहना पाप…