सहयोग

sannyas swabhiman aur sahyog
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संन्यास, स्वाभिमान और सहयोग: एक गहन दृष्टिकोण

कई लोग कहते हैं, “जब तुमने संन्यास ले लिया, समाज का त्याग कर दिया, तो फिर झोंपड़ी की आवश्यकता क्यों? आर्थिक सहयोग क्यों चाहिए? यदि जंगल में ही रहना है, तो जंगलियों की तरह रहो। क्यों मांगते हो सहायता उस समाज से जो स्वयं माफियाओं का गुलाम है?” इसी मानसिकता ने हमारे समाज को भीतर…

सुख दुःख के साथी
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सुख और दुःख में साथ खड़े होने वालों का महत्व: ओशो का दृष्टिकोण

जीवन में जब हम सुखी होते हैं, तो हमारे आसपास बहुत से लोग खड़े नजर आते हैं। यही स्थिति दुःख के समय भी होती है। अक्सर हम मान लेते हैं कि ये लोग, जो हमारे सुख और दुःख में साथ खड़े होते हैं, हमारे अपने हैं। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है? ओशो का कहना…

सम्मान की चाह या स्वतन्त्रता का चुनाव
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सम्मान की चाह या स्वतन्त्रता का चुनाव ?

महत्वपूर्ण यह नहीं कि कौन आपको चाहता है, बल्कि यह है कि कौन आपको महत्व देता है और आपका सम्मान करता है। अक्सर, जब हम दूसरों की नजरों में विशेष बनने की कोशिश करते हैं, तो अपनी मौलिकता खो बैठते हैं। हमें वैसा बनने की मजबूरी होती है, जैसा दूसरा चाहता है। इस प्रक्रिया में…

gupt yojana
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अपनी योजनाओं को गुप्त रखें: सफलता का मूलमंत्र

हम सभी अपने जीवन में कुछ न कुछ योजनाएँ बनाते हैं। चाहे वह व्यक्तिगत हो, व्यावसायिक, या सामाजिक। हर योजना का उद्देश्य होता है उसे सफलतापूर्वक पूरा करना। लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब हम अपनी योजनाओं का खुलासा पहले ही कर देते हैं, तो वह अधूरी रह जाती हैं या उनमें अनावश्यक…