भक्ति कोई सरकारी ढंग नहीं है कि विशेष ढंग से करोगे तो ही पूरी होगी
भक्ति का कोई स्टैंडर्ड ढंग नहीं है, कोई सरकारी ढंग नहीं है कि विशेष ढंग से करोगे, तो ही भक्ति पूरी होगी। तुम्हारी जैसी मौज हो। इसलिए तो कोई पत्थर के किनारे बैठ कर, राह के किनारे, रखे पत्थर के पास बैठ कर भक्ति कर लेता है। यह पत्थर ही है–औरों के लिए; लेकिन जिसने…