स्वतंत्रता

bhikhari nahi hoon main
| | |

मुझे भिखारी कहने से पहले अपने भीतर झाँक लेना

Shares

अब तक मैं सिर्फ जंगल और अपनी झोंपड़ी की तस्वीरें साझा कर रहा था, लेकिन आज मैंने अपनी झोंपड़ी की तस्वीर साझा की है। खास उन लोगों के लिए, जिन्हें लगता है कि मैं ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहा हूँ, भीख में मिले पैसों से अय्याशी कर रहा हूँ। तो देख लीजिए, यही वह झोंपड़ी…

Shares
samaj ka pratibimb aur chetana ka satya
| | | |

आईआईटी बाबा: समाज का प्रतिबिंब और चेतना का सत्य

Shares

आज लोग #IITBaba उर्फ़ अभयसिंह का उपहास कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि उन्हीं के पीछे दौड़कर समाचार एंकर, रिपोर्टर और यूट्यूबर अपनी टीआरपी और व्यूअरशिप बढ़ा रहे हैं। यह एक अजीब विडंबना है कि जिस व्यक्ति को उपेक्षित और हास्यास्पद बताया जा रहा है, वही वर्तमान मीडिया की सुर्खियों में छाया हुआ…

Shares
guru, bhakti aur samaj kii vidambana
|

गुरु, भक्ति और समाज की विडंबना

Shares

इस संसार में किसी के जन्म-मरण से तब तक कोई फर्क नहीं पड़ता, जब तक कि उसके नाम पर व्यापार खड़ा न किया जा सके, कमाई का साधन न बनाया जा सके। यही कारण है कि वे गुरु, जिनके नाम पर अरबों-खरबों की संपत्ति खड़ी होती है, जिनके आश्रमों में राजनीति चमकती है, जिनकी शिक्षाओं…

Shares
समाज से दूरी एक अनिवार्यता
| |

जागृत लोगों के लिए समाज से दूरी एक अनिवार्यता

Shares

जब साधु-संन्यासियों के निवास स्थान की चर्चा होती है, तो आम धारणा यह है कि उनका कोई स्थायी निवास स्थान नहीं होता। उनके लिए संपूर्ण पृथ्वी ही निवास स्थान है। वे भ्रमणशील होते हैं, और यह अपेक्षा की जाती है कि वे भटकते रहें, ईश्वर की खोज में। कौन जाने, किस गली या चौबारे में…

Shares
एकांतप्रिय होने कोई बीमारी नहीं है
| |

आज समाज के नाम पर केवल राजनैतिक, साम्प्रदायिक और जातिवादी भीड़ दिखाई देती है

Shares

जो व्यक्ति समाज और भीड़ से अलग एकांत में रहना पसंद करते हैं और सीमित लोगों से ही मिलते-जुलते या बातचीत करते हैं, उन्हें मनोविज्ञान में “इंट्रोवर्ट” (Introvert) कहा जाता है। इंट्रोवर्ट के लक्षण: 1. एकांत प्रियता: ऐसे लोग अकेले समय बिताना पसंद करते हैं और इसमें उन्हें ऊर्जा मिलती है। उनके लिए एकांत एक…

Shares
सोशल मीडिया की विविध दुनियाएँ
| |

मेरी दुनिया: एक अलग दृष्टिकोण

Shares

सोशल मीडिया की विविध दुनियाएँ सोशल मीडिया आज की दुनिया का एक ऐसा मंच बन चुका है जहाँ हर व्यक्ति अपनी-अपनी रुचियों और सोच के अनुरूप एक अलग दुनिया बसा चुका है। साम्प्रदायिक लोगों की अपनी दुनिया है, जहाँ केवल हिन्दू-मुस्लिम विवादों पर चर्चा होती है। उनके मित्र, परिवार और समाज सब इसी खेल में…

Shares
जीवन का उद्देश्य
| | |

क्या जीवन का उद्देश्य परम्पराओं का निर्वहन है ?

Shares

जीवन का उद्देश्य क्या है ? यह प्रश्न लगभग हर व्यक्ति के मन में उठता है। लेकिन इस प्रश्न का उत्तर तलाशने की दिशा में बहुत कम लोग प्रयास करते हैं। अधिकांश लोग अपने जीवन को एक प्रीप्रोग्राम्ड स्वचालित मशीन की तरह जीते हैं। उनके लिए जीवन बस एक ढर्रे पर चलता हुआ क्रम है,…

Shares
जब कोई साथ ना हो तब भी कोई साथ होता है
| | |

जब अपने साथ छोड़ देते हैं तब परायों से सहयोग मिलता है

Shares

सोशल मीडिया के समझदार, कर्मवादी और मेहनती लोगों ने मुझे अपनी फ्रेंडलिस्ट से बाहर निकाल दिया है। कारण पर चिंतन किया तो यही समझ में आया कि मैं उनकी तरह समझदार, कर्मवादी और मेहनती नहीं हूँ। मैं सोशल मीडिया पर दान और आर्थिक सहयोग मांग लेता हूँ। और मेहनती, कर्मवादी लोगों की नजर में दान…

Shares
जीवन के दो मार्ग गुलामी या आजादी
| | |

जीवन के दो मार्ग: गुलामी या आजादी ?

Shares

जीवन में मार्गों की कोई कमी नहीं है। कहने और दिखाने के लिए सैकड़ों रास्ते उपलब्ध हैं। आनंदमार्ग, परमानंदमार्ग, सत्यमार्ग से लेकर महात्मा गांधी मार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग तक; धर्मों से जुड़ी पहचान—हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, यहूदी—और राजनीतिक विचारधाराएँ—वामपंथ, दक्षिणपंथ, उग्रपंथ, गरमपंथ—हर ओर आपको विकल्प दिखाई देंगे। लेकिन इन तमाम विकल्पों की भीड़ में…

Shares
क्या आप जागृत और चैतन्य हैं
| | |

जीवन की वास्तविकता: दूसरों की थोपी मान्यताओं से परे

Shares

हमारे जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि सही-गलत, नैतिक-अनैतिक, पाप-पुण्य, हराम-हलाल जैसी अवधारणाएँ हमारे स्वयं के विचार नहीं हैं। ये सब हमारे ऊपर समाज, धर्म, संस्कृति, और संस्थाओं द्वारा थोपी गई मान्यताएँ हैं। इनका सत्य से कोई संबंध नहीं होता, बल्कि यह दूसरों के…

Shares
tyag aur swatantrta
| | | |

त्याग और स्वतंत्रता: मेरी जीवन की क्रांति

Shares

25-30 वर्ष पहले जो घरों की शान हुआ करते थे, जिन्हें बड़े सम्मान और गर्व के साथ रखा जाता था, आज लोग उन्हें भूल चुके हैं। आज कोई दहेज में कैसेट डेक या टू-इन-वन नहीं मांगता। जानते हैं क्यों ? क्योंकि उपयोगी वस्तु हो, पशु हो, या इंसान, एक दिन अनुपयोगी हो जाता है। एक…

Shares
sangharsh gulami se aajadi ke liye
| | |

बुलबुल का संघर्ष स्वतन्त्रता के लिए

Shares

“प्रश्न: “जब आप माफियाओं और उनके चाकरों, गुलामों और भक्तों की आलोचना करते हो, उन्हें लुटेरा और प्रकृति का शत्रु कहते हो, तो फिर भला वे आपकी सहायता करेंगे क्यों ? और जब माफियाओं और लुटेरों की चाकरी, भक्ति, गुलामी ना करने वाले आप जैसे लोगों को सहायता मांगनी पड़ रही है स्वतन्त्र जीवन जीने…

Shares