स्वतन्त्र नारी

बन्धनमुक्त स्वतन्त्र नारी
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आसक्ति बाँधती है और प्रेम मुक्त करता है

“जहां आसक्ति बाँधती है, वहाँ प्रेम मुक्त करता है।प्रेम स्वतन्त्रता है।” -ओशो इसीलिए समाज प्रेमी जोड़ों का विवाह नहीं होने देता। प्रेम करने वालों से तो इतनी घृणा करता है कि हत्या करने तक में संकोच नहीं करता। क्योंकि जहां स्वतन्त्रता है, वहाँ विवाह का बन्धन भला टिक कैसे सकेगा ? विवाह तो केवल उन्हीं…