उदारता उतना ही सही है, जितने से अपना अहित न हो रहा हो
जिन्हें हम सभ्य, धार्मिक और पढ़ा लिखा मानते हैं, उनसे अधिक क्रूर, स्वार्थी और परजीवी तो वे भी नहीं, जिन्हें हम हिंसक जानवर कहते हैं।
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जिन्हें हम सभ्य, धार्मिक और पढ़ा लिखा मानते हैं, उनसे अधिक क्रूर, स्वार्थी और परजीवी तो वे भी नहीं, जिन्हें हम हिंसक जानवर कहते हैं।