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dimga ka dahi
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दुनिया के झूठे सुधारक और मौलिकता का सवाल

आज के समय में लेखक, साहित्यकार, समाज सुधारक और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ऐसी बाढ़ आ चुकी है कि अब यह तय कर पाना मुश्किल हो गया है कि इनकी बातों को गंभीरता से लिया जाए या इन्हें खर-पतवार की श्रेणी में डाल दिया जाए। लोग अब किताबों और लेखों में अपना समय नष्ट करने की…