वर्ण

dadaba badal lene se pravriti nahi badal jaati
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दड़बा बदल लेने से प्रवृति नहीं बदल जाती

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माफियाओं की गुलाम सरकारों की चाकरी करो, आरक्षण प्राप्त करो, मल्टीनेशनल कम्पनी में नौकरी करो, राजनैतिक पार्टियों की भक्ति करो, देश व जनता के लुटेरों और माफियाओं के चरणों में नतमस्तक रहो का सिद्धान्त सही है या अपना दीपक आप बनो का सिद्धान्त सही है ? क्या शूद्रों (वेतन-भोगियों) का जीवन जीने वाला व्यक्ति अपना…

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