विशुद्ध विचार

क्या प्रतिभा कद से मापी जाती है
| |

क्या प्रतिभा कद से मापी जाती है ?

🌟 हिंदी सिनेमा में छोटे कद के महान कलाकारों की अनदेखी यात्रा जब हम विश्वविख्यात कलाकारों की बात करते हैं, तो अक्सर हमारे सामने एक प्रभावशाली व्यक्तित्व वाली लंबी कद-काठी की छवि उभरती है — जैसे अमिताभ बच्चन, टॉम क्रूज़, या इरफान खान। परंतु जब सवाल उठता है छोटे कद वाले अभिनेताओं का, तो सबसे…

चिताओं पर सिंकती है राजनैतिक रोटियाँ
| | |

निर्दोषों की चिताओं पर सिंकती है राजनैतिक रोटियाँ

22 अप्रैल 2025, पहलगाम — एक शांत घाटी, जहां केवल देवदार की खुशबू और झरनों की नमी होनी चाहिए थी, वहाँ गूंजती हैं गोलियों की आवाज़ें। 26 निर्दोष लोग मार दिए गए — धर्म पूछकर। इंसान को इंसान नहीं, मजहब के चश्मे से देखा गया। इंसानियत हार गई, राजनीति जीत गई। पूरा देश शोक में…

चाय विष या अमृत
| | |

चाय: अमृत या विष ? प्राचीन पेय के स्वास्थ्य रहस्यों पर एक विशुद्ध दृष्टि

“अति सर्वत्र वर्जयते” – यह शाश्वत संस्कृत सूक्ति हमें जीवन के हर पहलू में संतुलन का महत्व सिखाती है। किसी भी वस्तु की अधिकता निसंदेह हानिकारक हो सकती है। परन्तु, क्या इस सार्वभौमिक सत्य की आड़ में चाय जैसे सदियों पुराने और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित लाभकारी पेय को पूर्णतया नकारात्मक करार देना न्यायोचित है?…

मैं किसी दड़बे का नहीं हूँ — मैं सनातनधर्मी हूँ
| | | |

मैं किसी दड़बे का नहीं हूँ — मैं सनातनधर्मी हूँ

जब भी मैं किसी दड़बे की आलोचना करता हूँ, उस दड़बे के अनुयायी तुरंत मुझे दुश्मन खेमे का घोषित कर देते हैं। यदि मैंने हिन्दुत्व के नाम पर किए जा रहे उत्पातों के विरुद्ध लिखा, तो मुझे पाकिस्तानी मुल्ला घोषित कर दिया जाता है।यदि मैंने इस्लामिक आतंकवाद की आलोचना की, तो मुझे संघी, बजरंगी और…

गुरु कैसा होना चाहिए
| | |

गुरु कैसा हो? – एक आत्ममंथन

आध्यात्मिक गुरु यदि बनाना हो, तो ऐसा व्यक्ति चुनो जिसने जीवन के चरम अनुभव किए हों—या तो सफलता के शिखर को छुआ हो, या फिर असफलताओं की गहराइयों में डूबा हो। लेकिन जो जीवन के अधर में लटका रहा हो, जिसकी ज़िंदगी में कोई विशेष उतार-चढ़ाव न आया हो—ऐसे व्यक्ति को गुरु बनाना, केवल आध्यात्मिकता…

घृणा द्वेष से ग्रस्त समाज
| | | |

सरासर झूठ है: “मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना”

सड़क पर एक मासूम बच्ची को हरे रंग का एक झण्डा पड़ा मिला। धर्मभीरु और भावनाशील मन के साथ उसने झुककर झण्डा उठाया, यह सोचकर कि यह इस्लामिक झण्डा है — उसके अपने मजहब का प्रतीक। पर जैसे ही उसने उसे फैलाकर देखा, वह पाकिस्तानी झण्डा निकला। उस बच्ची ने उसे तुरंत सड़क किनारे रख…